Sacrifice of love – A Jabir FF – Part 26 – Telly Updates

हाय… मैं अपनी कहानी के अगले भाग के साथ वापस आ गया हूं…

चलो शुरू करो…।

कबीर की आँख से आँसू गिरे…

सुमन: उसके बाद पता नहीं कहाँ चली गई…
ध्रुव: मैंने उसकी लोकेशन खोजने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे कभी अपने पास नहीं पहुंचने दिया…।
कबीर : यह मेरी गलती थी…
ध्रुव: जब तुमने उससे प्यार किया तो तुमने उसे मुझसे शादी करने कब दिया?… कबीर….
कबीर ने कोई उत्तर नहीं दिया…
ध्रुव: मैं तुमसे बात कर रहा हूँ…
कबीर ने कॉल काट दी…
और रोते-रोते जमीन पर गिर पड़े…

कबीर : क्यों? क्यों भगवान?… अयाज सही था… आज मुझे अपनी मूर्खता पर बहुत पछतावा हो रहा है… ..

पीछे से कोई आता है और कबीर के कंधे पर हाथ रख देता है…
कोई: क्या हुआ कबीर?… तुम ठीक तो हो?…
कबीर ने अपने आंसू पोंछे…
कबीर : हाँ… मैं…
एक बच्चा दौड़ता हुआ आता है…
बच्चा : पापा…. मम्मा…
कोई: धीरे से आरुष… चोट लग जाएगी…
आरुष: पापा आपकी आंखों को क्या हो गया है?… ये लाल दिख रही हैं…
कबीर : कुछ नहीं… कल रात जागा था इसलिए लाल हो जाते हैं…। काव्या…मेरा काम कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा…फिर हम चलेंगे…
काव्या: मैं सच में इस जगह को मिस करने वाली हूं…
कबीर का फ़ोन बजा…

कबीर वहाँ से चला जाता है…

कबीर फोन पर बात कर रहा है अचानक उसकी नजर किसी पर पड़ी….. इस बार वह उसके पीछे हो लिया…
वह एक घर के अंदर जाती है…
घर के बाहर एक बुढ़िया बैठी है…
कबीर : कौन है वो ?? …
महिला : वह मेरी बेटी है…
कबीर: क्या आप कृपया मुझे उसका नाम बताएंगे? …
महिला : पूजा…
कबीर : मैं जानता हूँ कि जब से यह यहाँ रह रही है तब से यह तुम्हारी बेटी नहीं है…
महिला: वह मेरी बेटी की तरह है जैसे 5 साल पहले वह वहाँ अकेली आई थी … और यहाँ रहना शुरू कर दिया … उसने मेरे बेटे की जान बचाई तो मैं उसे अपने साथ रहने के लिए कहती हूँ … वह वास्तव में बहुत अच्छी लड़की है … लेकिन आप उसे कैसे जानते हैं? …. वह अपने अतीत के बारे में कभी किसी को नहीं बताती… अगर उसे पता चल गया कि कोई उसके बारे में पूछ रहा है तो वह वहां से चली जाएगी… तो plz.. आप जो भी हों बस उससे दूर रहें… मैं अपनी बेटी को खोना नहीं चाहता…
वहां एक लड़का आता है…
लड़का : क्या हुआ माँ ?.. कौन है वो ? …
कबीर वहाँ से चला जाता है…
वह अपनी डायरी में लिखता है …
मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा…मैंने उसे देखा…मैंने उसे 5 साल बाद देखा..वह अब भी वैसी ही है…। आज पहली बार याद आया जब मैंने उसे देखा था… काश मैं उसे बता पाता कि पूजा आई लव यू… प्लीज मुझे माफ कर दो… लेकिन मैं नहीं कर सकता…। मैं अपनी जिंदगी में इतना आगे आ गया… मुझे नहीं लगता कि मैं वापस जा सकता हूं…। मैं बस इतना चाहता हूं कि एक दिन मैं उसे सब कुछ बता दूं और अपनी मूर्खता के लिए उससे माफी मांगूं….. उसने मेरी वजह से अपनी खुशी कुर्बान कर दी… आज मुझे ऐसा लग रहा है कि किसी ने मेरे दिल को कुचल कर उसके कई टुकड़े कर दिए…।

अचानक पीछे से काव्या आती है…कबीर अपनी डायरी छुपा लेता है…
काव्या: चलो डिनर करते हैं…
कबीर : तुम जाओ मैं अभी आता हूँ…
काव्या: रुको…। यह क्या है..?
कबीर : क्या?…
काव्या: मैंने तुम्हारी डेयरी कबीर को देखा…..तुम्हें पता है कि मैं वास्तव में इसे क्या पढ़ना चाहता हूँ…
कबीर : नहीं…
काव्या: प्लीज…
कबीर : नहीं… यह अच्छी आदत नहीं है…
काव्या: मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता…
काव्या कबीर के पास आती है…
कबीर दौड़ता है.. काव्या उसके पीछे दौड़ती है…
कबीर : नहीं… काव्या… प्लीज…
काव्या: देख… आरुष जाग जाएगा… तेरी डेयरी पढ़ लूं…।
कबीर भागा…
आरुष पीछे से आता है …
आरुष: मम्मा… तुम लोग खेल रहे हो?… तुम दोनों धोखेबाज हो… तुम दोनों मेरे सोने के बाद खेलते हो…
कबीर काव्या को देखता है…।

कबीर : तुम्हारी मम्मा बहुत बुरी है आरुष… अपनी मम्मा जैसी मत बनो… आजकल तो उसकी आदत खराब हो गई है…

काव्या: अपने पापा की तरह भी मत बनो… वह बड़ा हो गया है लेकिन फिर भी वह एक बच्चे की तरह व्यवहार करता है… तुम भी उससे बहुत अच्छे हो…

कबीर अजीब चेहरे बनाते हैं …

आरुष: मुझे तुमसे बात नहीं करनी… तुम दोनों चीटर हो…

काव्या: हम नहीं खेल रहे थे….

आरुष: पापा अभी तो आप भी झूठ बोलने लगते हो… आप बहुत बुरे हो…

कबीर हँसे…

आरुष: पापा मुझे भी आपसे बात नहीं करनी… तुम दोनों मुझे प्यार नहीं करते… तुम दोनों ने मुझे जल्दी सुला दिया ताकि तुम दोनों खेल सको…

कबीर : मैंने क्या किया?… तेरी मम्मा की गलती है…

काव्या: नहीं… यह तुम्हारे पापा की गलती है… वो डेयरी छुपा रहे थे…

कबीर : पर वो तो मेरे पीछे भाग रही थी…

आरुष: फिर से तुम दोनों अपनी लड़ाई में मुझे भूल गए…। कोई मुझे प्यार नहीं करता है…

आरुष वहां से चला गया…

कबीर : आओ.. उससे सॉरी बोल देते हैं…

कबीर गीत गाते हैं…

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

मैंटीना भी क्या गुस्सा करना

कुछ अपना कहो..

कुछ मेरी सुनो..

यूं चुप चुप रहकर

दिल ही दिल में क्या कुढाना..

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

इतना भी क्या गुस्सा करना

कुछ अपना कहो..

कुछ मेरी सुनो..

यूं चुप चुप रहकर

दिल ही दिल में क्या कुढाना..

चलो जाने दो

अब.. छोड़ो भी

काव्या भी शामिल हों…

तुम ही मुझसे रूठ गए तो

किस्से बात करूं मैं..

जी उत्ता हं तुमसे मिल्के

तुम जो हो तो हूं मैं

तुम ही मुझसे रूठ गए तो

किस्से बात करूं मैं..

जी उत्ता हं तुमसे मिल्के

तुम जो हो तो हूं मैं

मुझसे इस पल हो मुह फेरे

फिर भी हो तुम मेरे

देखो नहीं अच्छा होता है इतना चिधना

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

मेरे दिल के टुकड़े

मेरे नन्हे से सहजदे

मुझसे यम नाराज न हो

इतनी न मुझे सजा दे

मेरे दिल के टुकड़े

मेरे नन्हे से सहजदे

मुझसे यम नाराज न हो

इतनी न मुझे सजा दे

देखो कब से तुम्हें बुलाए

मेरी तरसी बहे

आ प्यार करूं मैं

बहुत हुवा लडना भेदना

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

इतना भी क्या गुस्सा करना

कुछ अपना कहो..

कुछ मेरी सुनो..

यूं चुप चुप रहकर

दिल ही दिल में क्या कुढाना..

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी

चलो जाने दो..

अब छोड़ो भी..

आशा है कि आप लोगों को यह पसंद आया होगा….. अलविदा… ❤

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